तेज़ी से साझा हो रहे एक फेसबुक पोस्ट में यह दावा किया गया है कि, चीन ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में यह तर्क दिया है कि ‘अगर भारत का विपक्ष ही मसूद को आतंकी नहीं मानता तो हम कैसे मान ले ?’ हाल ही में १३ मार्च को यूनाइटेड नेशन्स की यूनाइटेड सिक्यूरिटी काउंसिल में आतंकी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को चीन ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर रोक लिया | यह दावा इस सन्दर्भ में किया गया है | आइये देखते हैं क्या है सच |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
फैक्ट चेक किये जाने तक इस पोस्ट को १,००० बार से भी ज़्यादा साझा किया गया है |
तथ्यों की जांच:
१३ मार्च २०१९ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए 1267 प्रतिबंध समिति प्रस्ताव को चीन ने चौथी बार फिर से रोक दिया है |
संयुक्त राष्ट्र (UN) के समक्ष भारत द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया है कि मसूद अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी करार दिया जाये | इस प्रस्ताव पर ४ बार बैठक भी हुई है, मगर चीन ने हर बार इस प्रस्ताव का विरोध किया | चीन द्वारा इस प्रस्ताव को चौथी बार रोकने का कारण ये बताया जा रहा हैं कि – “ऐसा इसलिए किया गया की सभी पक्षों को आतंकवाद के मुद्दे पर “स्थायी समाधान” खोजने के लिए अधिक व्यापक चर्चा की जरुरत है” |
इसके पहले भी चीन ने ३ बार इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकों में विरोध कर अवरुद्ध किया है | इस बैठक की ख़बर कई अखबारों मे भी प्रकाशित हुई है |
TheprintPost | ArchivedPost | EconomictimesPost | ArchivedPost | IndiatodayPost | ArchivedPost |
BusinesstodayPost | ArchivedPost | Business-standardPost | ArchivedPost | NdtvPost | ArchivedPost |
भारत के विदेश मंत्रालय और चीन के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर भी इस बैठक की जानकारी दी गई है | पूरा प्रकाशन पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लीक करें |
MEA.govPost | ArchivedPost | FMPRC.govPost | ArchivedPost |
हमने जब संयुक्त राष्ट्र की वेबसाईट पर इस बैठक की प्रेस विज्ञप्ति ढूँढने की कोशिश की, तो पता चला की अभी तक इस बारे में कोई अपडेट नहीं किया गया है |
हमने और अधिक संशोधन किया तो हमें ट्विटर में आदित्य राज कौल का एक ट्वीट मिला, जिसमे उन्होंने UN सचिवालय का प्रकाशित नोट साझा किया है, जो आप नीचे देख सकते है।
हमें और एक अधिकारिक ट्वीट मिला जिसमे चीनी प्रवक्ता ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया है कि चीन को मसूद के मामले में छानबीन के लिए ज़्यादा वक्त लगने के कारण चीन ने तकनिकी अवरुद्ध लगाया है | यह ट्वीट पाकिस्तान के चीनी एम्बेसी के प्रवक्ता लिजिआन ज़ाओ ने १४ मार्च २०१९ को सुबह ०८:२८ बजे किया था |
जब हमने उपरोक्त पोष्ट पर और अधिक संशोधन किया तो पोस्ट के नीचे लिखे गए लेख में ‘विक्रमा शर्मा’ नाम सामने आया।
फेसबुक मे जब हमने इस व्यक्ति का अकाउंट ढूँढा तो हमें दो लोग मिले जो कि विक्रमा शर्मा के नाम से है ।
इनमे से एक व्यक्ति कथित तौर पर अपने आप को ‘NAMO’ नाम के पेज का ‘co-admin cum editor’ बताता है।
जब हमने ‘stalkscan’ से इस व्यक्ति का सोशल प्रोफ़ाइल को स्कैन किया तो उनके पेज पर हमने सारे पोस्टों को डिलीट पाया। इसके पश्चात जब हमने उसके प्रोफाइल के फोटोज देखें, तो सारे चित्र दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थन वाले थे।
निष्कर्ष : ग़लत
तथ्यों की जांच के द्वारा हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि उपरोक्त पोस्ट मे लिखा दावा ‘अगर भारत का विपक्ष ही मसूद को आतंकी नहीं मानता तो हम कैसे मान ले ?’ ग़लत है | चीन ने मसूद अजहर पर प्रस्ताव को चौथी बार भी अवरुद्ध किया है, मगर इस बात का समर्थन करते हुए उसने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है, जैसा कि पोस्ट में दावा किया गया है |
Title:क्या चीन ने संयुक्त राष्ट्र को तर्क दिया है कि अगर भारत का विपक्ष ही मसूद को आतंकी नहीं मानता तो हम कैसे मान ले ? जानिये सच |
Fact Check By: Nita RaoResult: False
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