ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने इस बात की पुष्टि की है कार्बन डेटिंग रिपोर्ट में कोई फैसला नहीं हुआ है , मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग को लेकर मामला एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है। ज्ञानवापी में शिवलिंग जैसी दिखने वाली मूर्ति क्या वाकई में विश्वनाथ शिवलिंग है या एक फव्वारा। इसको ले कर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के अपने- अपने दावे अब तक किये जा रहे है। बहरहाल मामला कोर्ट के अंडर है और सबकी निगाहें देश की सर्वोच्च अदालत पर टिकी हैं। क्यूंकि जिस ज्ञानवापी की शिवलिंग संरचना की कार्बन डेटिंग कराये जाने की मांग हिन्दू पक्षों द्वारा की जा रही है उस पर फिलहाल रोक लग गयी है।
ऐसे में एक पोस्ट सोशल मीडिया में जम कर वायरल हो रहा है जिसके साथ ये दावा किया जा रहा है की ज्ञानवापी में काशी विश्वनाथ शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है क्यूंकि इसका खुलासा कार्बन डेटिंग की रिपोर्ट में हुआ है।
वायरल पोस्ट में लिखा गया है कि “सुन लो 1400 वर्ष पहले आने वालो कशी विश्वनाथ शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है कार्बन डेटिंग रिपोर्ट।”

अनुसंधान से पता चलता है की…
वायरल पोस्ट में किये गए दावे की जाँच हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च कर की। परिणाम में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जो इस बात की प्रमाणिकता पेश करे की ज्ञानवापी मामले में कार्बन डेटिंग का काम पूरा हो चूका हैऔर उसकी रिपोर्ट में कथित शिवलिंग की उम्र 8000 वर्ष पुरानी बताई गयी है।
फिर हमने मीडिया रिपोर्टों को ढूँढा और उसमें ये पता लगाने की कोशिश की ज्ञानवापी की कथित शिवलिंग संरचना पर कार्बन डेटिंग को ले कर अभी क्या स्थिति है ? न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कार्बन डेटिंग पर अभी के लिए रोक लगा दी है। सात अगस्त को मामले की फिर से सुनवाई होगी। प्रकाशित खबरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग और पूरे परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर अगली सुनवाई तक रोक लगायी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले 12 मई को आधुनिक तकनीक का उपयोग करके शिवलिंग जैसी संरचना की आयु का निर्धारण यानी की (कार्बन डेटिंग) करने का आदेश दिया था। इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। मस्जिद समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि यह संरचना मस्जिद परिसर में बने वजू खाने में एक फव्वारे का हिस्सा है।
इस खबर को विभिन्न मीडिया संगठन जैसे की अमर उजाला , आजतक , एबीपी न्यूज़ , टाइम्स नाउ नवभारत ने भी प्रकाशित किया है।
वायरल पोस्ट में किये गए दावे की पुष्टि करने के लिये फैक्ट क्रेसेंडो ने ज्ञानवापी मामले में हिन्दु पक्ष के वकील विष्णु जैन से संपर्क किया जिन्होंने ये बताया की कार्बन डेटिंग या किसी भी अन्य प्रकार के वैज्ञानिक परीक्षण को अब तक नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर कार्बन डेटिंग को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। चूँकि सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से अभी किसी भी तरह के परिक्षण पर रोक लगायी गयी है। अगली सुनवाई की प्रतीक्षा की जा रही है। उन्हने ये भी स्पष्ट किया की ज्ञानवापी में शिवलिंग का कार्बन डेटिंग के आधार पर 8००० वर्ष पुराना बताया जाना यानी की उस वास्तु की उम्र को अभी से निर्धारित किये जाने का दावा झूठा है।
इसके बाद हम स्पष्ट हुए की वायरल पोस्ट को झूठे दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
ज्ञानवापी मामले में ताज़ा अपडेट
ज्ञानवापी मस्जिद के वुजू क्षेत्र में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट आदेश दे दिया था। जिसके खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद मस्जिद कमेटी की याचिका पर सर्वोच्च अदालत सात अगस्त को सुनवाई करेगी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने याचिका दायर की थी। जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ को अपना फैसला देना है। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है।
निष्कर्ष-
तथ्यों की जांच में हमने वायरल पोस्ट को पूरी तरह से गलत पाया है। मामला अभी कोर्ट में है और कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर फैसला आना बाकी है। जिसके लिए सात अगस्त की तारीख़ तय की गयी है।

Title:क्या कार्बन डेटिंग रिपोर्ट के हिसाब से ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है?
Written By: Priyanka SinhaResult: False
