False

कोविड-19 महामारी के दौरान बनाई गई जागरूकता वीडियो अब जातिवाद के गलत दावे से वायरल…

बेंगलुरु नगर पालिका के कुछ कर्मचारियों ने ये वीडियो कोरोना काल में बनाया था। वीडियो में जो महिला, सफाईकर्मियों के साथ बदसलूकी करती दिख रही है, वो खुद बेंगलुरु नगर पालिका की कर्मचारी हैं जो केवल अपना किरदार निभा रही थीं।

सोशल मीडिया पर सफाईकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करती एक महिला का वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें एक तरफ सफाईकर्मी की यूनिफॉर्म में कुछ महिलाएं दिखाई दे रही हैं। वहीं दूसरी तरफ एक अन्य महिला है जो अपने घर के गेट के पास खड़ी होकर उन सफाईकर्मियों को दूर रहने का इशारा करती है। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि देश में आज भी जातिवाद है। भारत में आज भी जातिवाद के आधार पर इस तरह से सफाईकर्मियों के साथ बदसलूकी की जा रही है। 

वायरल वीडियो के साथ लिखा है- यह वीडियो आपको बताएगा कि आरक्षण क्यों जरूरी है. क्या यह भेदभाव किसी ब्राह्मण बनिया ठाकुर व्यक्ति के साथ हुआ है?

ट्वीटरआर्काइव 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

पड़ताल की शुरुआत में वीडियो से जुड़े कीफ्रेम्स को सर्च करने पर वायरल वीडियो हमें एक ट्वीट में मिला। जिसमें वायरल वीडियो के साथ एक डिस्क्लेमर भी है जिसमें बताया गया है कि ये वीडियो कोरोना महामारी के दौरान जागरुकता के लिए बनाया गया है।

आगे सर्च  में हमें एशियानेट न्यूज वेबसाइट पर वायरल वीडियो मिला। इसमें भी कहा गया है कि ये वीडियो केवल जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया था। ये वीडियो कोविड-19 महामारी के समय का है।

वायरल वीडियो में दिख रही घटना का लंबा वर्जन 24 जून, 2020 को ‘एशियानेट न्यूज़‘ के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था। 

वीडियो के साथ लिखा है कि बेंगलुरु नगर पालिका के कुछ कर्मचारियों ने ये वीडियो कोरोना काल में बनाया था। 

वीडियो में जो महिला, सफाईकर्मियों के साथ बदसलूकी करती दिख रही है, वो खुद बेंगलुरु नगर पालिका की कर्मचारी हैं और वो केवल अपना किरदार निभा रही थीं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये वीडियो वायरल होने के बाद कुछ अधिकारियों समेत कई सोशल मीडिया यूजर्स भी इसे असली घटना मान कर काफी भड़क गए थे। 

इसके बाद अगले दिन एक और वीडियो बना कर ये साफ किया गया था कि इसे महज जागरूकता फैलाने के मकसद से बनाया गया था।

वीडियो में जो महिलाएं दिख रही हैं वो सब बेंगलुरु के सिंगासांड्रा वॉर्ड की कर्मचारी थीं। 

निष्कर्ष- तथ्य-जांच के बाद, हमने पाया कि वायरल वीडियो असली नहीं है। ये वीडियो जून 2020 कोविड-19 महामारी के दौरान बेंगलुरु नगर पालिका के कुछ सफाईकर्मियों ने जागरूकता फैलाने के मकसद से बनाया था। जातिवाद से वीडियो का कोई संबंध नहीं है। 

Title:कोविड-19 महामारी के दौरान बनाई गई जागरूकता वीडियो अब जातिवाद के गलत दावे से वायरल…

Written By: Sarita Samal

Result: False

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