Missing Context

सड़क सुरक्षा के तहत नाटक के रुप में बनाये गये वीडियो को गलत दावे के साथ सांप्रदायिकता से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

सोशल मंचों पर अकसर कई वीडियो व तस्वीरों को सांप्रदायिकता से जोड़कर गलत दावे के साथ वायरल किया जाता रहा है। फैक्ट क्रेसेंडो ने ऐसे कई दावों का अनुसंधान किया है। वर्तमान में एक ऐसा ही दावा सोशल मंचो पर वायरल होता दिख रहा है, सोशल मंचो पर एक वीडियो जिसमे नमाज़ पढ़ने जा रहे कुछ लोगों को एक शख्स ने हेलमेट पहनने की हिदायत दी तो उन लोगों ने उस शख्स पर हमला करने के लिए बंदूकें व तलवारें निकाल ली। 

इंटरनेट पर साझा किये गये वीडियो के शीर्षक में लिखा है,

सेक्यूलरिजम का झुनझुना बजाने वाले ये वीडियो अवश्य देखें। बिना हेलमेट नमाजियों को रोका तो कैसे एक फोन पर पचासों शांतिदूत बन्दूक और तलवार लेकर आ गये। क्या पुलिस किसी हिन्दू को बिना हेलमेट पकड़ती है तो बिना चालान किये जाने देती?”

फेसबुक | आर्काइव लिंक

इस वीडियो को सोशल मंचों पर काफी तेज़ी से साझा किया जा रहा है।

आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहे दावे में पूरा कथन नहीं बताया गया है। यह वीडियो सड़क सुरक्षा के संबन्ध में लोगों को जागरुक करने के लिए बनाया गया था। जो भी लोग इस वीडियो में नज़र आ रहे है वे केवल नाटक कर रहे थे।

जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो को इनवीड वी-वैरिफाइ टूल के माध्यम से ढूँढने से की, परिणाम में हमें यही वीडियो हेलमेट मैन इंडिया नामक एक पेज पर प्रसारित किया हुआ मिला। यह वीडियो वायरल हो रहे वीडियो का विस्तारित संस्करण है। इस 11.35 मिनट के वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “हेलमेट मैन ऑफ इंडिया रघवेंद्र कुमार। हेलमेट मैन ने नमाजियों को मस्जिद जाने से रोककर कहा सड़क दुर्घटना मुक्त बनेगा भारत। तलवार और बंदूकों पर भारी पड़ा हेलमेट,” व यह वीडियो इस वर्ष 20 मार्च को प्रसारित किया गया था।

फेसबुक | आर्काइव लिंक

इसके पश्चात हमने वीडियो में दिख रहे हेलमेट मैन ऑफ इंडिया रघवेंद्र कुमार से संपर्क किया व उनके वायरल हो रहे वीडियो के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की, उन्होंने हमें बताया कि, “वायरल हो रहा दावा सरासर गलत व भ्रामक है। वीडियो में दिख रहा प्रसंग एक नाटक का भाग है जो इस वर्ष 20 मार्च को शूट किया गया था। देश में लोगों के बीच एकता का भाव बढ़े व साथ ही साथ सड़क सुरक्षा के लिए जागरुकता बढ़ें इसलिए हमने ये नाटक रचाया था। मूल वीडियो में जो मौलवी है उनसे मैंने बात की व उन्होंने उनके मदरसे में पढ़ रहे छात्रों व मस्जिद में मौजूद अन्य लोगों को ये वीडियो बनाने के लिए मेरे साथ भेजा था। उन लोगों के हाथ में जो बंदूक है वह असली बंदूक नहीं है बल्की एयर गन है व जो तलवारें उनके हाथ में दिख रही है वे उनके मस्जिद की है जो वे उनके त्योहारों में इस्तेमाल करते है।

उन्होंने हमें यह भी बताया कि यह वीडियो बिहार के कैमूर जिले में स्थित नुआंव प्रखंड के गाँव में स्थित एक मदरसे के पास फिल्माया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे कई वर्षों से इसी तरह के वीडियो बनाकर अपने सोशल मंचों पर प्रसारित करते आ रहे है।

रघवेंद्र कुमार ने पुख्ता सबूत के रुप में हमें उनका एक वीडियो व वीडियो में दिख रहे लोगों के साथ उस मस्जिद के पास ली गयी एक तस्वीर भी उपलब्ध करायी है।

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि उपरोक्त दावे में पूरा कथन नहीं बताया गया है। यह वीडियो सड़क सुरक्षा के संबन्ध में लोगों को जागरुक करने के लिए बनाया गया था। जो भी लोग इस वीडियो में नज़र आ रहे है वे केवल नाटक कर रहे थे।

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. अमूल आइसक्रीम में सूअर की चर्बी इस्तेमाल होने के दावे फर्जी हैं |

२. 2016 में केलिफोर्निया के टर्लोक सीटी के एक गुरुद्वारे में हुई झडप को कनाडा व भारत से जोड़ वायरल किया जा रहा है।

३. क्या राकेश टिकैत पर गाजीपुर में लगे टेन्टों के किराये का भुगतान न करने पर उत्तरप्रदेश में एफ.आई.आर दर्ज की गई? जानिये सच…

Title:सड़क सुरक्षा के तहत नाटक के रुप में बनाये गये वीडियो को गलत दावे के साथ सांप्रदायिकता से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: Missing Context

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