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तथ्य की जांच : क्या ये तीनों सचमुच बच्चों को अगुवा करते हैं ?

पिछले कुछ दिनों से व्हाट्स ऐप तथा अन्य सोशल मीडिया ऐप्स के जरिये एक तस्वीर तथा उसके साथ एक सन्देश बड़े पैमाने पर वायरल रहा है | तस्वीर में तीन युवा दिखाई दे रहे है | सन्देश में कहा गया है कि इन तीनों से सभी सावधान रहे | यह छोटे बच्चों का स्कूलों से अपहरण करने वाली टोली है जो बाद में बच्चों को बेच देती हैं | हिदायत दी गई है कि यह टोली फिलहाल हमारे इलाके में घूम रही है सो सावधान रहें | साथ ही स्कुल के दरबान को यह फोटो दिखाने की अपील भी की गई है | औरंगाबाद शहर के कई व्हाट्स ऐप ग्रुप्स इस मेसेज को शेअर कर रहे है | कई बार इस तरह के सन्देश पढ़कर परिवार के लोग चिंतित हो जाते है | चूँकि सन्देश में किये गए दावे का कोई आधार नहीं दिया है, सो हमने इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया |

सबसे पहले हमने गूगल किया | गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया | पता चला कि….
१. यह फोटो एक ट्विटर अकाउंट पर दिखता है | चांटी नाम से यह अकाउंट है और ऐसे लगता है की बनावटी है | क्यूंकि हैदराबाद लोकेशन का यह अकाउंट मई २०१८ को बनाया गया और उसके बाद सिर्फ तीन ट्वीट किये गए जिसमे इस फोटो का एक ट्विट भी शामिल है | सिर्फ उपरोक्त फोटो शेअर किया है और उसपर डेंजरस लिखा गया है | १६ मई २०१८ के इस ट्वीट के बाद इस अकाउंट पर कोई गतिविधि दिखाई नहीं पड़ती है | नीचे दी गयी लिंक से आप भी इस बात की संतुष्टि कर सकते है |


२. इसके बाद इसी तरह बनावटी महसूस होने वाले एक दुसरे ट्विटर अकाउंट पर यह फोटो शेअर हुई है | व्यंकटेश नाम से यह अकाउंट है जिसपर प्रोफाइल फोटो नहीं है | मई २०१८ में यह अकाउंट खोला गया और २१ मई २०१८ को इस पोस्ट के बाद कोई गतिविधि दिखाई नहीं पड़ती है|


३. इस फोटो की एक लिंक झोमेटो फ़ूड ऐप पर मिलती है | इस ऐप द्वारा खाना मंगाने के बाद खाने को रेटिंग दी गई है| ग्राहक की जानकारी में नाम आर. के. गुप्ता लिखा हुआ है और प्रोफाइल फोटो में यह फोटो दी गई है |


४. गूगल रिवर्स इमेज हमें पता चला कि यह तस्वीर और एक ऐप पर शेअर हुई है, वह है हेल्लो ऐप | मिथुन बौरी नाम से जारी अकाउंट पर बाकी दुसरी तस्वीरों के साथ उपरोक्त तस्वीर भी शेअर की गई है |

GOOGLE


५. तस्वीर के बारे में पूरी जानकारी, मसलन कहाँ खिंची है, किस समय, किस कैमरे से या फोन से आदि; जानने के लिए हमने विभिन्न ऑनलाइन सहाय्यकर्ता से मदद ली | लेकिन ऐसी कोई जानकारी देने में वह असमर्थ दिखाई दिए | इससे यह प्रमाणित होता है कि किसीने यह फोटो प्रवाहित करने से पहले फोटो की सारी डिटेल्स ख़ारिज कर दी थी |

सबसे महत्त्वपूर्ण….इस सन्दर्भ में हमने जब औरंगाबाद शहर पुलिस कमिशनर चिरंजीव प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा…  

हमारे द्वारा किये गए तथ्यों की जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह पता चलता है की किसी ने जानबूझकर यह अफवाह फ़ैलाने की कोशिश की है | संशोधन में फोटो की सत्यता प्रस्थापित नहीं हो पाई है | औरंगाबाद शहर पुलिस कमिशनर चिरंजीव प्रसाद ने भी यह एक अफवाह होने की बात कही है | अतः हमारी जांच में यह खबर झूठी पाई गई |

Title: तथ्य की जांच : क्या ये तीनों सचमुच बच्चों को अगुवा करते हैं ?”
Fact Check By: Rajesh Pillewar
Result: Fake
Published by
R Pillai

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